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Saturday 18 July, 2009

संत स्वामी प्रपन्नाचार्य जी


संत प्रपन्नाचार्य जी महाराज देश के एक जाने माने त्पोनिस्थ संत हैं
इनके द्वारा कही जाने वाली कथा को भक्त सुन कर श्री krashna की भक्ति से सराबोर हो जाते हैं मद्ध परदेश के सतना जिले मे पैदा हुए संत प्रपन्नाचार्य जी को रत्नों की भी बहुत अधिक जानकारी है देश और विदेश के लोग इनके द्वारा ही बताए गई रत्नों को धारण कर अपनी तमाम मुस्किलो का समाधान करते हैं चित्रकूट के रहस्यों की बारीकी से jankari भी रखते हैं enka kahna है की janha dharma है vahi जय है


इनके bare मे और अधिक jankari aur सलाह के लिए आप हमे ईमेल कर सकते हैं mailto:JUGNU.NEWS24@GMAIL.COM ya phone karen 91+9450225037
jugnu khan chitrakoot

महाशिवलिंग निर्माण फोटो चित्रकूट







जुगनू खान चित्रकूट

चित्रकूट। भगवान के मिलने के ज्वलंत उदाहरण चित्रकूट की पवित्र धरती पर आज भी मौजूद हैं। जब प्राणी भगवान को चित्त मे धारण कर लेता है तो उसे चित्रों के इस कूट में भगवान सहजता से मिल जाते हैं। संत तुलसी के साथ ही इस धरती के तमाम ऐसे महात्मा हैं जिन्होंने परमात्मा के दर्शन किये हैं।
लोभ लाभ का परित्याग कर चित्त में भगवान को बैठा लेने पर प्रभु के दर्शन सहजता से होते हैं। भरत जी भी यहां पर गुरु वशिष्ठ इसीलिये अपने साथ लेकर आये थे क्योंकि हर चीज उनके बस में थी। अनोखे मिलन की स्थली के रूप में चित्रकूट को निरुपित करने के साथ ही कहा जाता है कि 'हरि व्यापक सवर्ग समाना, प्रेम से प्रकट होहि भगवाना'।
परमात्मा को ढ़ूंढने की कला संतों के आर्शीवाद से ही मिल सकती है। वाणी को वीणा बना लेने से जीवन में पवित्रता आ जाती है। संसार में उपलब्धियों का क्रम अपने आप प्रारंभ हो जाता है। संत कृपा दुर्लभ नही है पर संत कृपा के लिये चिंतन का होना अति आवश्यक है। संतों की कृपा कब जीवन में हो जायेगी यह पता भी नहीं चलेगा और जीवन अंधकार से प्रकाश की ओर चल पड़ेगा। मार्गदर्शक के लक्षण ज्यादा चालाक व व्यवहार कुशल हो तो सहगामी बौरा नहीं सकता। अनुगामी लंगड़ा न हो अर्थात अनुगामी लंगड़ा होगा तो बोझा कौन ढोएगा। कथनी और करनी में एकता होने से मानव समाज दिग्भ्रमित होने से बच सकता है

जुगनू खान 09450225037