Sunday 19 December, 2010
गोस्वामी तुलसीदास जी की आध्यात्मिक जन्मस्थली
चित्रकूट की महिमा का वर्णन शब्दों में हो ही नहीं सकता। यहां पर तो प्रेम, आध्यात्म और तप की वह रसधार बहती है कि जो जितना लूट सकता हो उसे उतनी छूट है।
भगवान श्री राम के चरित्र को जन-जन तक पहुंचाने वाले गोस्वामी तुलसीदास जी की आध्यात्मिक जन्मस्थली चित्रकूट है। यहां पर उन्होंने दीक्षा लेकर तप किया और उन्हें दो बार भगवान राम के दर्शन भी यहीं पर हुए। तुलसीकृत श्री राम चरित मानस में जीवन की समस्त समस्याओं के समाधान छिपे हुए हैं। जो भी व्यक्ति इसे जिस रूप में देखता है उसे वैसे ही फल की प्राप्ति होती है।
Tuesday 27 July, 2010
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