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Saturday 22 January, 2011

2011 का स्वागत रामचरित मानस पढ़ कर


क्षेत्र की खुशहाली के लिये धर्मनगरी की मंदाकिनी नदी में नाव में बैठकर रामचरित मानस का पाठ शुरू किया गया । धर्मनगरी के साथ ही कर्वी व राजापुर में भी मंदिरों और घरों में श्री राम चरित मानस का पाठ किया जा रहा है। सभी का समापन नये वर्ष की सुबह किया गया ! वर्ष 2010 के अंतिम दिन रामघाट में मंदाकिनी नदी में नाव पर बैठकर बरुवा सागर से आये दर्जन भर भक्त संगीतमय तरीके से रामचरित मानस का पाठ पढ़ रहे हैं। नाव में बैठे इन भक्तों द्वारा पूरी नदी में घूम-घूम कर रामचरित मानस के दोहे पढे़ जा रहे हैं। जिसे सुनकर घाट किनारे बैठे लोग पुण्य कमा रहे हैं। बरुवा सागर झांसी से श्याम भक्ति संगीत की टीम के कोमलचन्द्र राय, सुजीत कुमार, ह्देश अगरिया, श्यामसुंदर, मुन्नालाल, वीरेंद्र नायक, सालिकराम सोनी, रज्जू व विवेक अगरिया के मुताबिक बुंदेलखंड क्षेत्र में खुशहाली व तरक्की के लिये प्रति वर्ष की शुरुआत पर धर्मनगरी में रामचरित मानस का पाठ का आयोजन किया जाता है। इस संगीतमय आयोजन में सभी धार्मिक लोग बढ़चढ़कर भागीदारी करते हैं। सभी का मानना है कि नये वर्ष की शुरूआत में रामचरित मानस का पाठ पढ़ने से क्षेत्र की कई बाधायें वर्ष भर दूर रहती हैं। इसके साथ ही धर्मनगरी के मंदिरों और घरों में भी श्री राम चरित मानस का पाठ किया जाता है !

राम और भरत


श्री राम और भरत के मिलाप के चिन्ह चित्रकूट की धरती में एक नहीं कई जगहों पर विद्यमान हैं। जहां भरत मिलाप पर दोनो चारों भाइयों के साथ माताओं और गुरु वशिष्ठ व विदेहराज का मिलन हुआ था वहीं भरतकूप के एक कुएं में श्री राम के राजतिलक के लिये लाये गये जल को डालने के कारण यह स्थान पवित्र हो गया। तब से लेकर लगातार हर साल इस स्थान पर मकर संक्रांति से पांच दिनों का मेला लगता है। आपरेशन थाना भरतकूप में पांच दिनों तक चलने वाले मकर संक्रांति के मेले में शुभारंभ किया जाता है । इसमें लगभग पांच सौ दुकाने लगती हैं। और दुकाने लगाने के लिये दूर दूर से लोग आते हैं। मेले में दुकान लगाने वाले के साथ शांति समिति की बैठक कर ली गई है। मेले को शांतिपूर्ण ढंग से निपटाने के लिये आवश्यक पुलिस बल की भी तैनाती कर दी जाती है । बड़े झूले व जादू खेल के साथ ही लोग इस मेले में भरतकूप के पवित्र जल में स्नान का पुण्य लाभ लेंगे

हनुमान जी का बरूआ संस्कार (जनेऊ)


अब चैत्र मास की नवरात्रि में झपोला महराज के नाम से ख्याति प्राप्त कर चुके श्री हनुमान जी का बरूआ संस्कार (जनेऊ) कराया जायेगा। जिसे भी यह सूचना मिल रही है वह न कवल मंदिर में जाकर दर्शन कर रहा है। यूँ तो अलौकिक तपस्थली चित्रकूट के नाम का अर्थ ही चित्रों के दर्शन से लगाया जाता है। 84 कोस में फैले इस विशालकाय परिक्षेत्र में हर कोस दो कोस में ऐसे विलक्षण और विशेष स्थानों की भरमार है जिन्हें देखकर लोग विस्मय व्यक्त करते हैं। ऐसा ही एक स्थान पश्चिमोन्मुखी श्री मंदाकिनी गंगा के समीप सूरजकुंज के पास है। अहमदगंज में बेड़ी पुलिया के पास रेलवे क्रासिंग के पास झपोला सरकार का दिव्य स्थान मंगलवार व शनिवार श्रद्धालुओं के पहुंचने का माध्यम है। वैसे प्रतिदन भी श्रद्धालु यहां पर पहुंचते हैं। यहां के पुजारी सूरजकुंज के पूर्व महंत स्वामी राम कमल दास के शिष्य हैं जो पहले कोटा राजस्थान में रहते थे। उनका कहना है कि हनुमान जी के आदेश पर वह वापस आये और अब उन्हीं के आदेशानुसार चैत्र की नवरात्रि में हनुमान जी महराज का बरूआ संस्कार करवाया जा रहा है !

राम की कर्मभूमि चित्रकूट में जन्माष्टमी के दिन फूट फूट के रोये श्री कृष्ण